Monday, 18 August 2025

राजस्थान के लोकप्रियदेवता जीके Rajasthan ke Pramukh lokdevta gk


★★पंच पीर लोकदेवता 


गोगाजी (जिन्हें गोगा वीर या जाहरवीर गोगा जी भी कहा जाता है) /राजस्थान के लोकदेवता गोगाजी (जिन्हें गोगा, गोगा जी महाराज, गोगा वीर, जाहर वीर गोगाजी आदि नामों से भी जाना जाता है).                 


  


🐍 गोगाजी का परिचय


गोगाजी राजस्थान के लोकदेवता हैं।

इन्हें नागों के देवता तथा साँपों के राजा भी कहा जाता है।

गोगाजी का जन्म ददरेवा (चुरू, राजस्थान) में हुआ था।

इन्हें जाहर वीर गोगाजी कहा जाता है, जिसका अर्थ है – विष (जहर) को नष्ट करने वाले वीर।

गोगाजी को हिन्दू और मुस्लिम दोनों समुदायों द्वारा श्रद्धा से पूजा जाता है।


🏹 जन्म और वंश


गोगाजी का जन्म 11वीं सदी में चौहान वंश में हुआ।

उनके पिता का नाम जेवर चौहान और माता का नाम बचलक देवी (सिरसा, हरियाणा की राजकुमारी) था।

गोगाजी का जन्म गोगा नवमी (भाद्रपद कृष्ण पक्ष की नवमी) को हुआ, इसलिए इस दिन उनकी जयंती मनाई जाती है।


⚔️ वीरता और चमत्कार


गोगाजी वीर योद्धा थे, उन्होंने कई युद्धों में वीरता दिखाई।

नागों (साँपों) के देवता होने के कारण कहा जाता है कि उनके पास साँपों को वश में करने की शक्ति थी।

लोककथाओं में वर्णन है कि वे अपने साथ एक नीले घोड़े पर सवार होते थे और उनके ध्वज पर साँप की आकृति बनी होती थी।

ऐसा माना जाता है कि गोगाजी के आशीर्वाद से साँप का विष असर नहीं करता।


⛪ प्रमुख स्थल


गोगाजी का प्रमुख मंदिर गोगामेड़ी (हनुमानगढ़, राजस्थान) में स्थित है।

यहाँ हर साल भाद्रपद कृष्ण पक्ष की नवमी से ग्यारस तक गोगा मेला भरता है।

यहाँ हिन्दू और मुस्लिम दोनों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।

इस मंदिर में साँपों की पूजा और ध्वजा चढ़ाने की परंपरा है।


🙏 पूजा-पद्धति


लोग गोगाजी के स्थान (चौरा) पर घोड़े और साँप की मूर्ति स्थापित करते हैं।

ध्वजा (झंडा) चढ़ाई जाती है।

श्रद्धालु साँप के काटने से बचाव और परिवार की रक्षा के लिए गोगाजी से प्रार्थना करते हैं।


📜 लोककथाएँ और मान्यताएँ


1. गोगाजी को जन्म के समय ही नागदेवता का वरदान मिला था।

2. युद्ध में वीरगति प्राप्त करने के बाद भी उनके स्थान पर साँप दिखाई देते हैं।

3. उनकी पूजा करने से साँप काटने का डर नहीं रहता और फसलें सुरक्षित रहती हैं।

4. राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, गुजरात और मध्यप्रदेश में इनके मंदिर और चौरे स्थापित हैं।


🎉 गोगा नवमी (गोगाजी की जयंती)


यह पर्व भाद्रपद कृष्ण पक्ष की नवमी को मनाया जाता है

इस दिन लोग गोगाजी की पूजा करते हैं और उनके चौरे पर ध्वजा चढ़ाते हैं।

राजस्थान के गाँवों में विशेष रूप से यह पर्व बहुत श्रद्धा से मनाया जाता है।


👉 संक्षेप में, गोगाजी लोकदेवता, नागों Same देवता और जन-जन के रक्षक माने जाते हैं।

उनकी आस्था राजस्थान और आसपास के राज्यों में बहुत गहरी है।


🐍 गोगाजी का परिचय


गोगाजी राजस्थान के लोकदेवता माने जाते हैं।

इन्हें मुख्य रूप से सर्पों के देवता (नागदेवता) माना जाता है और लोग इन्हें ‘जाहर वीर गोगाजी’ के नाम से पूजते हैं।
गोगाजी का जन्म चूरू ज़िले के ददरेवा गाँव में हुआ था।
इनकी माता का नाम बाछल देवी और पिता का नाम जयपाल जी चौहान था।


🏹 जीवन व वीरता


गोगाजी का जन्म चौहान वंश में हुआ और वे पराक्रमी योद्धा थे।

कहते हैं कि बचपन में ही इन्हें गुरु गोरखनाथ से आशीर्वाद मिला था और नागों को वश में करने की शक्ति प्राप्त हुई।

इन्हें ‘जाहर वीर’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये नागों के ज़हर से लोगों को बचाते थे।

गोगाजी ने अपना जीवन धर्म, न्याय और जनकल्याण के लिए समर्पित किया।


🛕 गोगाजी की पूजा व मेले



1. गोगामेड़ी (हनुमानगढ़ ज़िला, राजस्थान)

यह गोगाजी की मुख्य समाधि स्थल है।

यहाँ पर हर साल भाद्रपद माह (भादवा बदी नऊ) को विशाल मेला लगता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु आते हैं।

इस मेले में हिन्दू और मुस्लिम दोनों बड़ी श्रद्धा से आते हैं।


Tuesday, 12 August 2025

राजस्थान के लोकप्रियदेवता Rajasthan ke lok priydevata gk question answer


★पंच पीर लोकदेवता 


★ इन्हें पंच पीर भी कहते है इन की पूजा हिन्दू ओर मुस्लमान होने ही समुदायों के लोग पूजते है 


★★1. जन्म और प्रारंभिक जीवन


★जन्म: बाबा रामदेव जी का जन्म विक्रम

संवत 1409 (सन् 1352 ई.) में राजस्थान के(शिव )बाड़मेर ज़िले के रूणिचा गाँव में हुआ।

★पिता: अजमलजी तंवर (राजपूत वंश के राजा)

★माता: मैणादे

★पत्नी: नेतलदे

★घोड़ा: लीलाण

★गुरुजी: बालीनाथ जी (समाधि मैसूरिया पहाड़ी जोधपुर)

★ ≈ भाद्रपद शुक्ल एकादशीमि को रामसरोवर झील के किनारे रामदेवरा में १२४८/1458 ई. (वि.सवंत १५१५/1515 ई.) में रामदेव जी ने जीवित समाधि ली

– रामदेवजी के मेले पर काम जाती की महिलाएं तेरहताली नृत्य करती है रुणैचा / रामदेवरा (जैसलमेर)

– मंदिर पर पांच (5) रंगों की पचरंगी व्घजा नेजा कहलाती हैं 

– रामदेवजी का मन्दिर देवरा कहलाता है 

– मंदिरबमे चरण चिन्ह स्थापित किए जाते हैं उसे पगलिया कहते है 

मेला –भाद्रपद शुक्ल द्वितीय से एकादमी तक 

– राजस्थान में सांप्रदायिक 

सद्भाव का सबसे बड़ा मेला ( हिंदू–मुस्लिम बड़ी मात्रा में आते हैं

★ रामदेवजी ने बाल्यकाल में मल्लिनाथ से पोकरण प्राप्त कर भैरव राक्षस का वद किया पोकरण पुनः बसाया और पोकरण अपनी भतीजी को दहेज में दे दिया 

★मक्का के पांच पिरो ने रामदेवजी के चमत्कारों को देखकर

पीरो का पीर कहा ।। 

★जन्म के समय से ही इनके अंदर दिव्य शक्तियों के लक्षण माने जाते थे।


★2. धार्मिक पहचान


≈ रामदेव जी को हिंदू धर्म में भगवान कृष्ण का अवतार माना जाता है।

≈ मुस्लिम समुदाय में इन्हें रामशाह पीर के नाम से जाना जाता है और एक "पीर" के रूप में सम्मान दिया जाता है।

≈ वे साम्प्रदायिक सौहार्द, गरीबों की सेवा और सामाजिक समानता के प्रतीक माने जाते हैं।


★3. मुख्य शिक्षाएँ और कार्य


≈जात-पात का विरोध किया और सभी को एक समान माना।

≈गरीबों और दलितों को भोजन, वस्त्र और सम्मान दिया।

≈समाज में भक्ति, सत्य और सेवा का संदेश फैलाया।

≈चमत्कारी शक्ति से रोगियों को ठीक करना, पीड़ितों की मदद करना और संकट में पड़े लोगों को बचाना इनके जीवन के प्रसिद्ध प्रसंगों में शामिल है।


★4. प्रसिद्ध चमत्कार


≈बाबा रामदेव जी के चमत्कारों में सबसे प्रसिद्ध है— दूर से ही भक्तों को दर्शन देना, पानी पर चलना, और बिना बताए भक्तों की मदद पहुँचा देना।

≈मुस्लिम फकीरों के साथ संवाद कर उन्हें संतुष्ट करना, जिससे उनका सम्मान "पीर" के रूप में भी बढ़ा।


★5. समाधि स्थल


स्थान: रूणिचा (बाड़मेर, राजस्थान)

तिथि: विक्रम संवत 1442 (लगभग सन् 1385 ई.) में मात्र 33 वर्ष की आयु में जीवित समाधि ली।

≈समाधि स्थल पर भव्य मंदिर बना हुआ है, जो हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है।


★6. मेला और उत्सव


≈रूणिचा मेला: भाद्रपद शुक्ल दशमी से एक सप्ताह तक चलता है।

≈इस मेले में राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों से लाखों श्रद्धालु आते हैं।

≈मेला केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि लोक-संस्कृति, लोक-नृत्य और लोक-गीतों का भी बड़ा केंद्र है।


★7. पूजा और भक्ति परंपरा


≈भक्त उन्हें "रामसा पीर" कहकर पुकारते हैं।

≈मंदिर में चूरमा, मिठाई, नारियल, ध्वजा और चादर चढ़ाने की परंपरा है।

≈मुस्लिम भक्त चादर चढ़ाते हैं, हिंदू ध्वजा चढ़ाते हैं — यह आपसी भाईचारे का प्रतीक है।


★8. लोक संस्कृति में स्थान


≈ राजस्थानी लोकगीतों, कथाओं और भजनों में रामदेव जी का बहुत वर्णन है।

"पाला रामापीरा का" नामक लोकगाथा विशेष रूप से प्रसिद्ध है, जिसे लोक भाट गाते हैं।

ऊँट-घोड़ों की सजावट, लोकनृत्य, भजन-कीर्तन इनके मेलों की शान होते हैं।


★9. प्रमुख संदेश


≈समानता: जाति-धर्म से ऊपर उठकर सभी को एक मानना।

≈सेवा: गरीब, पीड़ित और जरूरतमंद की सेवा करना।

≈भक्ति: सच्चे मन से ईश्वर का स्मरण करना।

≈भाईचारा: हिंदू-मुस्लिम एकता का पालन करना।


★बाबा रामदेव जी के प्रसिद्ध चमत्कार


★1. पाँच पीरों की परीक्षा


≈सिंध प्रदेश से पाँच मुस्लिम फकीर बाबा रामदेव जी की ख्याति सुनकर उनकी परीक्षा लेने रूणिचा आए।

≈उन्होंने अपनी थालियाँ पानी पर तैराकर कहा – "अगर तुम सच में पीर हो, तो हमारे साथ थाली पर बैठकर आओ।"

≈बाबा ने अपनी थाली पानी पर रखी और उसी तरह बैठकर उनके पास पहुँचे।

≈पाँचों फकीर उनके दिव्य स्वरूप से प्रभावित होकर उन्हें "रामशाह पीर" मानने लगे और जीवन भर के लिए उनके भक्त हो गए।


★2. अंधे भक्त को दृष्टि मिलना


≈एक बार एक अंधा भक्त बाबा से मिलने आया।

≈बाबा ने प्रेमपूर्वक उसका सिर सहलाया और कहा – "अब अपने राम को देखो।"

≈कहते हैं, उसी क्षण उसकी आँखों की रोशनी लौट आई।

≈यह कथा लोकभजनों में आज भी गाई जाती है।


★3. दूर से सहायता पहुँचना


≈मान्यता है कि बाबा अपने भक्तों की मदद दूर से ही कर देते थे।

≈यदि कोई भक्त कठिनाई में होता, तो बाबा बिना बुलाए उसकी सहायता कर देते।

≈लोककथाओं में यह भी आता है कि बाबा घोड़े पर सवार होकर पल भर में मीलों की दूरी तय कर लेते थे।


★4. अनाज से भरी कोठार की कथा


≈एक बार गाँव में भयंकर अकाल पड़ा।

≈बाबा ने अपनी कोठार (अन्न भंडार) खोल दी और कहा – "जब तक कोई भूखा है, अन्न ले जाओ।"

≈लोग दिन-रात अनाज लेते रहे, लेकिन कोठार कभी खाली नहीं हुई।

≈इस कथा को राजस्थान के लोकगीतों में “रामापीरा की कोठार” कहा जाता है।


★5. दूध की नदी बहना


≈एक गाय चरते-चरते बहुत दूर चली गई और रास्ता भटक गई।

≈बाबा ने उसकी खोज में निकले और देखा कि वह थककर गिर गई है।

≈बाबा ने पानी का कटोरा उसके पास रखा, तो पानी दूध में बदल गया और पूरी नदी जैसी धारा बहने लगी।

≈यह चमत्कार ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत प्रसिद्ध है।

≈प्रसिद्ध लोककथाएँ और लोकगीत


★1. पाला रामापीरा का


≈यह राजस्थान की एक लंबी लोकगाथा है, जिसमें बाबा के जन्म से लेकर समाधि तक की कथा पद्य रूप में गाई जाती है।

≈भाट, चारण और माँगणियार समुदाय इसे ढोलक, चंग और कमायचा की धुन पर गाते हैं।

≈इसमें पाँच पीरों की कथा, अंधे भक्त की कथा, और समाधि लेने की घटना विशेष रूप से शामिल है।


★2. समाधि लेने की कथा


≈बाबा को पूर्वाभास हो गया था कि उनका समय आ गया है।

≈उन्होंने गाँववालों और भक्तों को बुलाया, आशीर्वाद दिया और जीवित समाधि ले ली।

≈कहा जाता है, समाधि लेते समय उनके मुख पर दिव्य मुस्कान थी और चारों ओर चंदन, केसर और गुलाब की खुशबू फैल गई थी।


★ 3. हिंदू-मुस्लिम एकता की कहानी

≈बाबा के भक्तों में हिंदू और मुस्लिम दोनों थे।

≈एक बार मंदिर में चादर चढ़ाने को लेकर विवाद हुआ, तब बाबा ने कहा – "राम और रहीम एक हैं, सेवा ही सबसे बड़ा पूजन है।"

≈इसके बाद से रूणिचा में मेला दोनों समुदाय मिलकर मनाने लगे।


√ 4. भूत-प्रेत से मुक्ति


≈लोककथाओं में आता है कि बाबा के नाम का स्मरण करने मात्र से भूत-प्रेत और नकारात्मक शक्तियाँ दूर हो जाती थीं।

≈इसलिए आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में किसी को डर लगे या बीमारी हो, तो उसके घर वाले "रामापीरा" का भजन गाकर उसके पास बैठते हैं।


★5. रूणिचा यात्रा की परंपरा


≈भक्त बाबा रामदेव जी के मंदिर तक पैदल यात्रा (पदयात्रा) करते हैं।

≈यात्रा के दौरान ढोल-नगाड़ों और भजनों का माहौल रहता है।

≈मान्यता है कि पदयात्रा करने वालों की मनोकामनाएँ अवश्य पूरी होती हैं।


प्रश्न 1. बाबा रामदेव जी का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

उत्तर: विक्रम संवत 1409 (सन् 1352 ई.) में राजस्थान के बाड़मेर ज़िले के रूणिचा गाँव में।

प्रश्न 2. बाबा रामदेव जी के पिता और माता का नाम क्या था?

उत्तर: पिता – अजमलजी तंवर, माता – मैणादे।

प्रश्न 3. बाबा रामदेव जी को हिंदू और मुस्लिम समुदाय किन नामों से जानते हैं?

उत्तर: हिंदू – भगवान कृष्ण का अवतार, मुस्लिम – रामशाह पीर।

प्रश्न 4. बाबा रामदेव जी की समाधि कहाँ स्थित है?

उत्तर: रूणिचा, बाड़मेर, राजस्थान।

प्रश्न 5. बाबा रामदेव जी ने कितनी आयु में जीवित समाधि ली थी?

उत्तर: लगभग 33 वर्ष की आयु में (विक्रम संवत 1442)।

प्रश्न 6. रूणिचा में बाबा रामदेव जी का मेला किस माह में लगता है?

उत्तर: भाद्रपद शुक्ल दशमी से प्रारंभ होता है और लगभग एक सप्ताह चलता है।

प्रश्न 7. पाँच मुस्लिम फकीरों के साथ बाबा रामदेव जी की कौन सी प्रसिद्ध घटना जुड़ी है?

उत्तर: पाँच पीरों की परीक्षा — बाबा ने पानी पर तैरती थाली पर बैठकर अपनी चमत्कारी शक्ति दिखाई।

प्रश्न 8. "पाला रामापीरा का" क्या है?

उत्तर: यह बाबा रामदेव जी के जीवन और चमत्कारों पर आधारित प्रसिद्ध राजस्थानी लोकगाथा है।

प्रश्न 9. बाबा रामदेव जी की कोठार से जुड़ी कथा किससे संबंधित है?

उत्तर: अकाल के समय उन्होंने अन्न से भरी कोठार खोल दी, जो कभी खाली नहीं हुई।

प्रश्न 10. बाबा रामदेव जी किन मूल्यों/संदेशों के लिए प्रसिद्ध हैं?

उत्तर: समानता, सेवा, भक्ति, और हिंदू-मुस्लिम एकता।

प्रश्न 11. बाबा रामदेव जी के भजनों में किस वाद्ययंत्र का विशेष प्रयोग होता है?

उत्तर: ढोलक, चंग और कमायचा।

प्रश्न 12. बाबा रामदेव जी को कौन सा खिताब मुस्लिम समुदाय ने दिया?

उत्तर: रामशाह पीर।





Tuesday, 29 July 2025

Rajasthan ke Pramukh lokdevta gk rajasthan gk राजस्थान के प्रमुख लोकदेवता

 राजस्थान के प्रमुख लोकदेवता 

(1) पाबूजी राठौर 

**पाबूजी राठौर                      

 जन्म – कालू  (फलोदी) 1239 ई. 

पिता – धांधल जी राठौड़ 

( धांधल जी मारवाड़ राव शासक आस्थान के पुत्र व राव सिंह के वंशज थे )

माता – कमलादे 

पत्नी – फुलमदे/सुप्यारदे(अमर कोट के सूरजमल सोढा की पुत्री )

गुरु – गुरु गोरखनाथ जी

घोड़ी – केशर कलमी( देवल चारणी की घोड़ी थी )

♂️–उपनाम 

– गो रक्षक देवता 

– लक्ष्मण जी के अवतार 

– प्लेग रक्षक देवता 

– ऊंटों के देवत


— मारवाड़ में सर्वप्रथम ऊंट लाने का श्रेय पाबूजी को दिया जाता है 

— ऊंट पालक जाती रायका (रेबारी) इन्हें अपना आराध्य देव मानती हैं

— गुजरात शासक आना बघेला से विद्रोह करके

सात थोरी भाइयों चांदा देवा,खापु,मेंपा,पाबूजी ने सरण दी ।

— पाबूजी का बहनोई जिंदराव खींची (जायल नागौर ) देवल चारणी की गाये चुराकर ले गया ।

— ढेचू गांव फलौदी में युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हूए  यही पाबूजी महाराज की समाधि थी 

— पाबूजी के सहयोगी चांदा डेमा बाघेला राजपूत वह हरमल रेबारी 

—पाबूजी ने विवाह के समय साढ़े तीन फेरे लिए थे।।

♂️ मंदिर 

— कोलूमंद फलोदी में जहां केसर कालमी घोड़ी पर पाबूजी की बाई और झुकी पाग की प्रतिमा व हाथ में भाला है ।।

— यह चैत्र अमावस्या को मेला लगता है 

— अन्य मंदिर आहड़( उदयपुर )

— मेहर जाति के मुसलमान पाबूजी को पीर मानकर पूजते हैं

— पाबूजी के गाथा गीत पाबूजी के पवाड़े (वीर गाथा) माठ वाद्य यंत्र नायक व रेबारी जाति द्वारा बनाए जाते हैं

—पाबूजी की फ़ढ नायक जाति के लोगों द्वारा रावणहत्था वाद्य यंत्र के साथ बाची जाती हैं ।।

***प्रमुख रचना 

— पाबू प्रकाश – आशिया मोजड़ी     

— पाबुजी रा छंद – बीटू मेहा जी    

— पाबूजी रा सौरटा – रामनाथ कविया 

– पाबूजी का दोहा – लघराज 

– पाबूजी के गीत – बांकीदास 

– पाबूजी री बात – लक्ष्मी कुमारी चुंडावत 

Saturday, 19 July 2025

Rajasthan culture gk राजस्थान क्लचर जीके क्वेशन

 बिलकुल! यहाँ राजस्थान की संस्कृति (Rajasthan Culture) पर आधारित 50 प्रमुख प्रश्नों को विस्तृत विवरण (Detailed Explanation) के साथ हिन्दी में प्रस्तुत किया गया है, ताकि आप प्रतियोगी परीक्षाओं (जैसे RAS, REET, पटवारी, पुलिस, SI आदि) 


🏵️ राजस्थान की संस्कृति – 50 महत्वपूर्ण प्रश्न (विस्तार सहित)


🎭 लोक नृत्य और संगीत


1. घूमर नृत्य किस क्षेत्र का प्रसिद्ध लोक नृत्य है?

🔹 उत्तर: घूमर नृत्य मुख्यतः उदयपुर और कोटा क्षेत्रों में प्रचलित है। इसे महिलाएं सामूहिक रूप से गोल घूमते हुए करती हैं। यह नृत्य राजस्थानी गौरव और स्त्री सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है।

2. कालबेलिया नृत्य किस समुदाय से संबंधित है?

🔹 उत्तर: यह नृत्य सपेरा समुदाय (कालबेलिया जाति) से जुड़ा है। महिलाएं नागिन जैसी गति से नाचती हैं। इसे UNESCO ने अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में भी मान्यता दी है।

3. कच्छी घोड़ी नृत्य किस अवसर पर किया जाता है?

🔹 उत्तर: यह नृत्य शेखावाटी क्षेत्र में किया जाता है। पुरुष नकली घोड़े की पोशाक पहनते हैं और वीर गाथाएं गाते हुए नृत्य करते हैं। इसे शौर्य प्रदर्शन का प्रतीक माना जाता है।

4. भवाई नृत्य क्या है?

🔹 उत्तर: इसमें महिलाएं सिर पर 7 से 11 मटके रखकर बेहद संतुलन के साथ नाचती हैं। यह नृत्य भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ क्षेत्रों में प्रसिद्ध है।

5. तेरहताली नृत्य कौन करता है?

🔹 उत्तर: यह नृत्य कमाड़ समाज की महिलाएं करती हैं। ये महिलाएं अपने शरीर पर 13 मंजीरे बांधकर तालबद्ध नृत्य करती हैं।


🎨 चित्रकला और शिल्प


6. फड़ चित्रकला क्या है?

🔹 उत्तर: यह लोक देवताओं की कथाओं पर आधारित धार्मिक चित्रकला है। इसे कपड़े पर बनाया जाता है और रात्रि में भोपों द्वारा गायन के साथ दिखाया जाता है।

7. नाथद्वारा चित्रकला किससे जुड़ी है?

🔹 उत्तर: यह शैली श्रीनाथजी (कृष्ण जी) की आराधना पर आधारित है। इसे पिचवाई चित्रकला भी कहा जाता है, जो कपड़े पर बनाई जाती है।

8. मेवाड़, मारवाड़, किशनगढ़ शैलियाँ क्या हैं?

🔹 उत्तर: ये सभी राजस्थानी लघुचित्र की शैलियाँ हैं, जो विभिन्न राजघरानों द्वारा प्रोत्साहित की गई थीं।


किशनगढ़ शैली में राधा-कृष्ण प्रेम को प्रमुखता दी जाती है।


🧘 लोक देवता और धार्मिक परंपराएँ


9. तेजाजी कौन थे?

🔹 उत्तर: तेजाजी को साँपों के देवता के रूप में पूजा जाता है। इनका जन्म नागौर जिले में हुआ था। इन्हें वीरता और सत्यनिष्ठा का प्रतीक माना जाता है।


10. गोगाजी का प्रमुख मंदिर कहाँ है?

🔹 उत्तर: गोगामेड़ी (हनुमानगढ़) में स्थित है। इन्हें भी  का देवता कहा जाता है।


11. रामदेवजी कौन हैं?

🔹 उत्तर: रामदेवजी को दलितों और गरीबों के रक्षक के रूप में माना जाता है। इनका मंदिर रामदेवरा (जैसलमेर) में स्थित है।

12. पाबूजी राठौड़ कौन थे?

🔹 उत्तर: वे एक लोकनायक और पशुपालकों के रक्षक थे। जोधपुर क्षेत्र से जुड़े हैं। इनकी "फड़" लोककथाओं में प्रसिद्ध है।


🛕 मेला और त्यौहार


13. गंगौर त्योहार क्या है?

🔹 उत्तर: यह स्त्रियों का त्योहार है जो पार्वती माता की पूजा के लिए होता है। अविवाहित लड़कियाँ अच्छा पति पाने के लिए और विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत करती हैं।

14. तीज किस मौसम में मनाया जाता है?

🔹 उत्तर: सावन मास में। यह भी स्त्रियों का त्योहार है, जो हरियाली और प्रेम का प्रतीक है।

15. पुष्कर मेला किसके लिए प्रसिद्ध है?

🔹 उत्तर: ऊँट, घोड़े, गायों की खरीद-बिक्री और धार्मिक स्नान के लिए प्रसिद्ध। यह अजमेर जिले में होता है।

16. मरु महोत्सव कहाँ मनाया जाता है?

🔹 उत्तर: जैसलमेर में आयोजित होता है, जिसमें लोकनृत्य, ऊँट दौड़, पारंपरिक पहनावे की प्रतियोगिताएं होती हैं।


📚 साहित्य और भाषा


17. डिंगल और पिंगल क्या हैं?

🔹 उत्तर: ये राजस्थानी काव्य की भाषाएँ हैं।

डिंगल वीर रस की भाषा है (राजाओं की प्रशंसा)।

पिंगल श्रृंगार रस की भाषा है।

18. बाँकीदास और कन्हैयालाल सेठिया कौन थे?

🔹 उत्तर:

बांकीदास चारण कवि थे – डिंगल में रचनाएँ।

कन्हैयालाल सेठिया आधुनिक राजस्थानी काव्य के कवि।


🌿 प्राकृतिक प्रतीक और परंपरा


19. राजस्थान का राज्य पक्षी कौनसा है?

🔹 उत्तर: गोडावण (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड) – यह विलुप्तप्राय पक्षी है।

20. राज्य वृक्ष और पुष्प क्या हैं?

🔹 वृक्ष: खेजड़ी – पर्यावरणीय दृष्टि से महत्वपूर्ण

🔹 पुष्प: रोहिड़ा – मरुस्थल का गुलाब कहा जाता है

21. राज्य पशु कौन है?

🔹 उत्तर: ऊँट और चिंकारा – ऊँट को रेगिस्तान का जहाज कहा जाता है।


🎺 लोक वाद्य यंत्र


22. रवणहत्था क्या है?

🔹 उत्तर: यह एक तार वाद्य यंत्र है जो राजस्थानी लोकगीतों में उपयोग होता है। कहा जाता है कि इसे रावण ने बनाया था।

23. मंजीरा, ढोलक, सतारा किस वर्ग के वाद्य हैं?

🔹 उत्तर:

मंजीरा: ताल वाद्य

ढोलक: ताल वाद्य

सतारा: वायु वाद्य



Tuesday, 15 July 2025

Bhart ka savidhan gk राजस्थान जीके

 भारत का संविधान 



1. भारत सभा का गठन जुलाई 1946 

2. संविधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या 389

3. संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 

4. संविधान सभा के स्थाई अध्यक्ष डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा 

5. संविधान सभा के स्थाई अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद 

6. संविधान सभा की अंतिम बैठक 24 जनवरी 1950 

7. भारतीय संविधान लागू हुआ 26 जनवरी 1950 

8. भारतीय संविधान को पारित किया गया 26 नवंबर 1949 

9. संविधान सभा ने राष्ट्रगान को कब अपनाया 24 जनवरी 1950 

10. संविधान सभा ने राष्ट्रीय ध्वज कब बनाया 22 जुलाई 1947 

11. संविधान बनने लगा वर्ष 2 वर्ष 11 महीने और 18 दिन 

12. मूल संविधान में भागों की संख्या 22 भाग 

13. संविधान बनने में कुल खर्च 63,96,729 रुपए 

14. मूल संविधान में अनुच्छेदो की संख्या 395 अनुच्छेद 

15. मूल संविधान में अनुसूचियों की संख्या 8 अनुसूची

16. मूल संविधान में भागों की संख्या 22 भाग

Thursday, 10 July 2025

Rajasthan Culture gk question answer राजस्थान कल्चर जीके क्वेशन आंसर

संस्कृति (Culture / कल्चर) आधारित दिए जा रहे हैं। ये सभी प्रश्न स्कूल परीक्षा, निबंध लेखन, सामान्य ज्ञान, या प्रतियोगी परीक्षा (जैसे NTSE, UPSC, SSC High court आदि) के लिए उपयोगी हैं।




Sunday, 6 July 2025

Rajasthan gk Rajasthan ki prthay राजस्थान की प्रथाएं

 सर्वप्रथम प्रथाओ पर रोक     

1. सती प्रथा बूंदी (1822)

2. दास प्रथा –कोटा बूंदी (1832)

3. कन्या वध प्रथा–बूंदी (1833) कोटा (1834)

4. त्याग प्रथा–जोधपुर(1841)

5. समाधि प्रथा–जयपुर (1844)

6. मानव व्यापार जयपुर (1847)

7. डाकन प्रथा–उदयपुर ( 1853)

8. बाल विवाह–जोधपुर (1855)

9. सागडी प्रथम/बंधुआ मजदूरी –जयपुर(1961))






राजस्थान के लोकप्रियदेवता जीके Rajasthan ke Pramukh lokdevta gk

★★पंच पीर लोकदेवता  गोगाजी (जिन्हें गोगा वीर या जाहरवीर गोगा जी भी कहा जाता है) /राजस्थान के लोकदेवता गोगाजी (जिन्हें गोगा, गोगा जी महाराज, ...